Sunday, February 1, 2009
आवत बसंत ऋतुराज कहियतु है
कल बसंत पंचमी थी ।
मौसम में परिवर्तन तो स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है पर हम ?
हमारे मन के अपने ही मौसम हैं और हम उन से ही प्रभावित होते है|भौतिक उपलब्धियां हमें कुछ देर के लिए खुश कर जाती हैं .शेयर मार्केट उधर डाउन होता है इधर हमारा दिलो दिमाग .बीमारी ,नौकरी ,प्रमोशन ,पैसा ............और अब एक नई बीमारी सेलिब्रिटी बनने की चाह ,हर कोई जान ले के हम हैं .अब इतनी सारी मन को प्रभवित करने वाली बातों के रहते किसी को फुर्सत कहाँ है के थोड़ा ठहर जाए और देखे कि-
इन दिनों आसमान कितना नीला है .
नीचे धरती पर पीले पीले सरसों के खेत ,सफ़ेद धनिया के खेत ,हरे हरे गेहूं के खेत मिल कर कैसी सुंदर रंगोली बना रहे हैं .
आम के वृक्ष बौरों से लद गए हैं ,
टेसू कि कलियाँ खिलने को मचल रही हैं .
बागों में भंवरे कलियों पर और तितलियाँ फूलों पर मंडरा रही हैं
पर हाय ......बेचारा नीरस मनुष्य .......
अख़बार में सर घुसाए है
आंकडों से माथापच्ची कर रहा है।
पृकृति आपके चारों और अपने सौन्दर्य से प्रसन्नता और उल्लास बखेर रही है ।
थोड़ा अपने चारों ओर नजर फेरिये और बसंत का स्वागत कीजिये ।
आप सब के जीवन में बसंत बार बार आए
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6 comments:
वसन्त पंचमी! कभी इसका आना यूँ इतना चुपचाप न होता था। तब पीले वस्त्र पहनते थे। कम से कम रूमाल तो पीला रंगा ही जाता था। खेतों में सरसों के फूल होते थे। अब तो सरसों ही देखे जमाना बीत गया। पता नहीं कब वसन्त पंचमी आई और चली गई।
सीमा जी, आपने बिल्कुल सही लिखा है, सचमुच आज हम लोग अपनी व्यवस्तताओं में इतना ज्यादा उलझ चुके हैं कि हमारे पास अपनी दिनचर्या से अलग हटकर कुछ देखने का भी समय नहीं है.
aapko bhi vasant ritu ki badhaiyaan
बसंत के महीने और बसंत के आगमन का क्या कहना । इसके आने का इंतजार किसे नही रहता है । इस समय प्रकृति के रूप को कौन नही देखना चाहता है । धन्यवाद
Vasant ka sundar agaz hai..badhai !!
basant ki tarah hi uska swagat bhi man bhavan. happy basant. aapke jeevan main bhi basant ki tarah khushiyan mahaken yahee dua hai.
vaqt nikal kar mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi aayen
काफी समय से नया कुछ पढने में नही आ रहा है.आपकी रचनाएँ मन को छूती हैं .कृपया लिखते रहें.
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